निकाय चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के लिए बागियों से निपटना चुनौतीपूर्ण : मोहम्मद शाहनज़र

देहरादून :- उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। सर्द मौसम में पार्टियों और प्रत्याशियों को वोटरों के सामने पसीना-पसीना होते हुए देखा जा सकता है। उत्तराखंड के कुल 100 निकायों में हो रहे चुनाव को दो वर्ष बाद होने वाले विधानसभा के आम चुनाव का सेमीफाइनल और राज्य सरकार के 3 साल के कामकाज का हिसाब भी माना जा रहा है।

वही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी इस बार के निकाय चुनाव से जुड़ी हुई है। दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों को अपनी-अपनी पार्टी के बागियों से दो-चार होना पड़ रहा है। कई स्थानों पर तो भाजपा कांग्रेस के स्थान पर भाजपा और भाजपा के बागी तो, वहीं कांग्रेस और कांग्रेस के बागी आमने-सामने चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। पिथौरागढ़ से लेकर हरिद्वार तक बागियों ने दोनों ही पार्टियों के नाक में दम किया हुआ है। भाजपा व कांग्रेस अभी तक 100 से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।

वही कई नेता ऐसे हैं जिनको बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पार्टी ने हाईकमान तक का दरवाजा खटखटाया हुआ है। कांग्रेस में जहां कुछ बागी चुनावी मैदान में है तो कुछ ने भाजपा का दमन थाम कर कांग्रेस को दोहरी मार दी है। इसके अलावा कांग्रेस के पिथौरागढ़ से विधायक मयूख महल अभी भी पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बागी प्रत्याशी को समर्थन करने के बाद से चर्चाओं में है, जिसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और विधायक मयूख महर के बीच जुबानी जंग चल रही है। तो वहीं पार्टी अनुशासन समिति ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी संस्तुति पार्टी आलाकमान को भेज कर निर्णय लेने का आग्रह किया है। यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा कि क्या कांग्रेस मयूख महर के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाती है या नहीं, लेकिन इतना तय है कि पिथौरागढ़ में कांग्रेस तीन खेमों में बट कर कमजोर हो गई है।

क्योंकी निकाय चुनाव के पहले उत्तराखंड कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। ये तीनों ही नेता कुमाऊं मंडल के हैं। इन तीनों नेताओं के भाजपा में शामिल होने से हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की साख को भी बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस नेता हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कुमाऊं से ही आते हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन का दारोमदार इस समय करन माहरा के हाथों में है, मगर हरीश रावत व आर्य उत्तराखंड कांग्रेस में एक सर्वमान्य नेता हैं। ऐसे में उन्ही के इलाके से बड़े कांग्रेसी नेताओं का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए भी काफी बुरी खबर है।

टिकट बंटवारे के विवादों के बीच सबसे बड़ा और चर्चित विवाद और कांग्रेस के लिए सदमा मथुरादत्त जोशी का जाना है। जोशी इस बात से नाराज थे कि पार्टी में इतने लंबे समय तक सेवा देने के बावजूद उनकी पत्नी को पिथौरागढ़ मेयर का टिकट नहीं दिया गया। कांग्रेस में कई पदों पर 45 साल तक सेवा देने वाले उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी ने बीते शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ देर बाद ही पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।

मथुरादत्त ने पिथौरागढ़ नगर निगम के मेयर पद पर पत्नी को टिकट न मिलने पर कई वरिष्ठ नेताओं पर खनन, शराब माफिया को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया था। (इन आरोपों पर फिर कभी बात की जाएगी।) उनकी बयानबाजी के बाद से पार्टी के कई नेता काफी असहज थे तो संगठन के स्तर पर भी इसे गलत माना जा रहा था।

मथुरा दत्त जोशी ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके बाद कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहर दसौनी फफक पड़ीं और बोलीं, ‘‘जोशी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत हानि है। इतने लंबे समय तक सेवा करने वाले नेता हर कार्यकर्ता, नेता को समझने लगते हैं। मुझे लगता है राज्य में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसके साथ उनका संपर्क न रहा हो। इतना सबकुछ पार्टी ने दिया। इसके बावजूद पार्टी से ये नाखुशी।

पार्टी के प्रति इतने अपमानजनक शब्द। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए जो कुछ भी कहा मुझे लगता है कि वह स्वीकार्य नहीं है। मथुरादत्त जैसा सभ्य, सधी भाषा शैली वाला व्यक्ति अगर ऐसी बात करता है तो कहीं न कहीं दूसरी पार्टी से उनकी अंदरखाने सेटिंग उजागर होती है’’। यही नही कुमाऊं मंडल के ही एक और बड़े नेता बिट्टू कर्नाटक ने भी हाल में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली है। बिट्टू कर्नाटक अल्मोड़ा से मेयर का टिकट चाहते थे।

टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। बिट्टू कर्नाटक, कांग्रेस नेता हरीश रावत के करीबी माने जाते हैं। उनके इस्तीफे के बाद अल्मोड़ा में कांग्रेस कमजोर हो गई है। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद बिट्टू कर्नाटक ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाये, उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व की कार्य प्रणाली और टिकट बंटवारे पर असंतोष जाहिर किया। बिट्टू कर्नाटक ने कहा ‘‘वे कई सालों से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं, वे एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे थे, मगर पार्टी ने निकाय चुनाव में उनकी अनदेखी की है। जिसके कारण वे कांग्रेस से इस्तीफा दे रहे हैं’’।

इसके अलावा कांग्रेस नेता जगत सिंह खाती ने भी निकाय चुनाव से पहले भाजपा की शरण ले ली है। जगत सिंह खाती बेरीनाग से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं। जगत सिंह खाती के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ। कुमाऊ के इन तीन बड़े नेताओं के भाजपा में जाने से कांग्रेस को 2016 की बगावत के बाद सबसे बड़ा झटका लगा है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भण्डारी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी।