देहरादून : यूसीसी को लेकर धामी कैबिनेट ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। धामी कैबिनेट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। पांच से आठ फरवरी तक आहूत होने वाले विधानसभा के सत्र में धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को पटल पर रखेगी। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का काउंटडाउन शुरू हो गया है। उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज यूसीसी बिल पर चर्चा को लेकर 24 घंटे में दूसरी बार कैबिनेट बैठक बुलाई। इस बैठक में धामी कैबिनेट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है। अब कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को सदन के पटल पर रखेगी।
6 फरवरी को यूसीसी विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। 7 फरवरी को विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर चर्चा की जाएगी. जिसके बाद इसे धामी सरकार सदन से पारित करवाएगी।
बता दें कि उत्तराखंड की धामी सरकार पिछले कई दिनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की तैयारी में है। 2 फरवरी को यूसीसी कमेटी ने धामी सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा। जिसके बाद धामी सरकार ने यूसीसी का विधिक परीक्षण करवाया। इसके साथ ही सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी की है।
बीते रोज हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। जिसके बाद सीएम धामी से इस बारे में सवाल किया गया। तब सीएम धामी ने इसके जवाब में कहा सरकार इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा राज्य सरकार विस्तृत रूप से ड्राफ्ट का विधिक परीक्षण करवा रही है, ताकि मंत्रिमंडल से मंजूरी दिए जाने से पहले राज्य सरकार ड्राफ्ट को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट हो सके।
दूसरी और देहरादून के कई मुस्लिम संगठनों वी धर्मगुरुओं कि आज देहरादून पलटन बाजार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई जिसमें अध्यक्षता काजी शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी द्वारा की गई शहर काजी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च केवल धर्म विशेष के विरुद्ध क्योंकि इसमें मुस्लिम समाज द्वारा दी गई आपत्तियों को दरकिनार किया गया है और ना ही मुस्लिम समाज द्वारा दिए गए सुझाव को जगह दी गई है हम उच्च का कड़ा विरोध करते हैं तथा संवैधानिक दायरे में रहते हुए इस काले कानून के विरुद्ध लड़ाई लड़ेंगे। इमाम संगठन के अध्यक्ष मुफ्ती रईस ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा लाए जाने वाला कानून संविधान के विरुद्ध है। क्योंकि आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की आजादी है। सर्वप्रथम तो केंद्र सरकार द्वारा संविधान में संशोधन किया जाए उसके बाद यूसीसी लागू किया जा सकता है। वरना दो कानून आपस में टकराएंगे तथा संविधान का आर्टिकल 25 राज्य सरकार मानने को बाध्य है। उन्होंने आगे कहा कि जो कानून सर्व धर्म के लिए है। उसमें समस्त धर्म का प्रतिनिधित्व न होना ही इस कानून को सन्देह पूर्वक बनता है हम इस कानून का विरोध करते हैं।
इस अवसर पर मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि यूसीसी लाना सीधा धर्म विशेष पर प्रहार है। मीडिया रिपोर्ट से ज्ञात हुआ है कि यूसीसी प्रावधानों में से चार प्रावधान सीधे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला करते हैं जिससे पता चलता है की यूसीसी लाने का मतलब मुस्लिम लॉ को खत्म करना है। क्योंकि उत्तराखंड यूसीसी का अध्याय, एक प्रदेश, एक सिविल कानून, पर अनुसूचित जाति जनजाति ट्राईबल्स एरिया को छोड़ जाना इस कानून के एक होने पर यथोचित प्रश्न खड़े करता है। इस अवसर पर बोलते हुए मुस्लिम सेवा संगठन के उपाध्यक्ष आकिब कुरेशी ने कहा की यूसीसी ड्राफ्टिंग कमिटी में किसी भी धार्मिक धर्मगुरु या धर्म के जानकर को नहीं लिया गया। विशेषकर मुस्लिम धर्म गुरु को सम्मिलित नहीं किया गया क्योंकि ये कानून सब से ज़्यादा मुस्लिम धर्म को प्रभावित करता है। ऐसे में किसी भी मुस्लिम धर्म गुरु को सम्मलित ना करना इस कानून को वैधता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। इसके अलावा क्योंकि इसमें जोनसार बाबर के क्षेत्र और ट्राइबल को अलग कर दिया है। इससे इसकी एक प्रदेश एक कानून की सार्थकता पर बड़ा प्रश्न है इस अवसर पर खुर्शीद अहमद, हाशिम उमर, मुहम्मद इरशाद आदि मौजूद रहे।